वैदिक विधि से पूर्ण संख्याओं का वर्ग, घनफल, वर्गमूल, घनमूल
वर्ग :
वर्ग संक्रिया निम्न सूत्र - उपसूत्रों द्वारा सम्पन्न की जा सकती है।
1. सूत्र एकाधिकेन पूर्वेण आधारित विधि उन्हीं संख्याओं का वर्ग ज्ञात कर सकती है, जिनका इकाई अंक या चरम अंक 5 होता है।
2. उपसूत्र आनुरुप्येण द्वारा दो अंकों की संख्या का वर्ग ज्ञात करना ही सुविधाजनक होता है।
3. उपसूत्र यावदूनम तावदूनी कृत्य वर्ग च योजयेत का अर्थ है कि आधार अथवा उपाधार के सापेक्ष किसी संख्या में जो न्यूनता अथवा अधिकता हो, उस न्यूनता अथवा अधिकता को उस संख्या में से कम - अधिक कर उसमें उसका वर्ग जोड़ते हैं। न्यूनता अथवा अधिकता को विचलन भी कहा जाता है।
4. इष्ट संख्या विधि - यदि संख्या x तथा इष्ट संख्या a हो तो x² = ( x + a) ( x - a) + a² सूत्र द्वारा किसी भी संख्या का वर्ग ज्ञात किया जा सकता है।
5. सूत्र ऊर्ध्वतिर्यक आधारित द्वन्द्वयोग विधि - से कितने भी अंकों की संख्या का वर्ग सरलता से ज्ञात किया जा सकता है।
घनफल
घनफल संक्रिया निम्न सूत्र - उपसूत्रों द्वारा सम्पन्न की जा सकती है।
1. सूत्र निखिलम् ( आधार - उपाधार )
(i) आधार विधि -
घनफल = संख्या + (विचलन)×2/3×(विचलन) ² /(विचलन) ³ , जबकि विचलन = संख्या – आधार अथवा उपाधार
(ii) उपाधार विधि -
आधार विधि के समान इस विधि में भी गुणन संक्रिया के तीन खण्ड होते हैं।
(a) प्रथमखण्ड = (उपाधार अंक)²(संख्या + विचलन ×2)
(b) मध्यखण्ड = (उपाधार अंक) ×3×(विचलन) ²
(c) तृतीयखण्ड = (विचलन)³
आधार में जितने शून्य, उतने ही अंक मध्य एवं तृतीयखण्ड में रखे जाते हैं।
वर्ग :
वर्ग संक्रिया निम्न सूत्र - उपसूत्रों द्वारा सम्पन्न की जा सकती है।
1. सूत्र एकाधिकेन पूर्वेण आधारित विधि उन्हीं संख्याओं का वर्ग ज्ञात कर सकती है, जिनका इकाई अंक या चरम अंक 5 होता है।
2. उपसूत्र आनुरुप्येण द्वारा दो अंकों की संख्या का वर्ग ज्ञात करना ही सुविधाजनक होता है।
3. उपसूत्र यावदूनम तावदूनी कृत्य वर्ग च योजयेत का अर्थ है कि आधार अथवा उपाधार के सापेक्ष किसी संख्या में जो न्यूनता अथवा अधिकता हो, उस न्यूनता अथवा अधिकता को उस संख्या में से कम - अधिक कर उसमें उसका वर्ग जोड़ते हैं। न्यूनता अथवा अधिकता को विचलन भी कहा जाता है।
4. इष्ट संख्या विधि - यदि संख्या x तथा इष्ट संख्या a हो तो x² = ( x + a) ( x - a) + a² सूत्र द्वारा किसी भी संख्या का वर्ग ज्ञात किया जा सकता है।
5. सूत्र ऊर्ध्वतिर्यक आधारित द्वन्द्वयोग विधि - से कितने भी अंकों की संख्या का वर्ग सरलता से ज्ञात किया जा सकता है।
घनफल
घनफल संक्रिया निम्न सूत्र - उपसूत्रों द्वारा सम्पन्न की जा सकती है।
1. सूत्र निखिलम् ( आधार - उपाधार )
(i) आधार विधि -
घनफल = संख्या + (विचलन)×2/3×(विचलन) ² /(विचलन) ³ , जबकि विचलन = संख्या – आधार अथवा उपाधार
(ii) उपाधार विधि -
आधार विधि के समान इस विधि में भी गुणन संक्रिया के तीन खण्ड होते हैं।
(a) प्रथमखण्ड = (उपाधार अंक)²(संख्या + विचलन ×2)
(b) मध्यखण्ड = (उपाधार अंक) ×3×(विचलन) ²
(c) तृतीयखण्ड = (विचलन)³
आधार में जितने शून्य, उतने ही अंक मध्य एवं तृतीयखण्ड में रखे जाते हैं।
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